
डायबिटीज क्या है :- जब pancreas में इंसुलिन की कमी आ जाती है अर्थात इंसुलिन उचित मात्रा में नहीं पहुंच पाता है तो ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा अधिक हो जाती है और इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है ।जिस कारण मधुमेह या डायबिटीज ,शुगर नाम नामक रोग हो जाता है
इंसुलिन :- एक प्रकार का हार्मोन है जो शरीर के अंदर डाइजेस्टिव ग्लैंड में या pancreas में बनता है। पाचन के दौरान pancreas अग्नाशयी रस का स्त्राव करता है जिसे एंजाइम कहा जाता है ।
वह आपके शरीर को काम करने के लिए भोजन से वसा और शुगर को
ऊर्जा में तोड़ने के लिए जिम्मेदार है। एंजाइम के साथ अग्न्याशय ( pancreas) भी शरीर में इंसुलिन एक हार्मोन का उत्पादन करता है। जैसा कि हमने ऊपर पढा कि यदि इंसुलिन नामक हार्मोन की कमी शरीर में उत्पन्न हो जाती हैं। तो ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा अधिक हो जाती हैं इससे व्यक्ति का शुगर लेवल बढ़ जाता है। जिसके कारण रोगी की स्थिति काफी खराब हो जाती है ।
चिकित्सकों के अनुसार उचित शुगर लेवल 120 mg/dL माना जाता है । यदि शुगर लेवल 180 mg/dL है तो यह कहा जाएगा कि वह व्यक्ति डायबिटीज या शुगर नामक बीमारी से ग्रस्त है ।
डायबिटीज को 2 Types में डिवाइड किया गया है ।
Type – 1 :-
Type 1 इसमें बहुत कम मात्रा में इंसुलिन बनता है या बिल्कुल ही नहीं बनता है। यह ज्यादातर (Adolescence) किशोरावस्था में देखा जाता है इसके लक्षण निम्नलिखित हैं :-
लक्षण :-
बार-बार प्यास लगना अर्थात जब व्यक्ति को दिन में कई बार बेवजह प्यास लगे तो यह लक्षण भी देखने को देखने को मिलता है ।
बार-बार पेशाब या यूरिन जाना तथा रात्रि के समय अधिक यूरिन (पेशाब )आना।
भूख लगना पहले से अधिक मात्रा में अब भूख लगना भी इसका लक्षण देखने को मिलता है ।
खाना खाने के बाद अत्यधिक थकान महसूस करना भी यह लक्षण देखने को मिलता है ।
डायबिटीज के रोगियों में धुंधला दिखाई पड़ना जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं ।
अचानक से कभी-कभी अत्यधिक वजन कम होना।
डायबिटीज शुगर के रोगियों में शरीर के अंदर प्रतिरोधक क्षमता की कमी भी दिखाई पड़ती है।
उपचार व इलाज Type-1
उपचार के रूप में इंसुलिन का सेवन करते हैं। क्योंकि उनके बॉडी में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है। जिसकी वजह से उनके ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा अधिक हो जाती है और वह डायबिटीज से ग्रस्त हो जाते हैं।
blood monitorning( रक्त की निगरानी) इसमें व्यक्ति बार-बार अपना blood चेकअप करता है। यह देखता है कि उसका ब्लड लेवल उचित है या नहीं यदि अधिक है तो वह चीजों को करता है जो बॉडी के ब्लड सरकुलेशन (blood circulation) बनाए रखने में Help करते हैं ।ताकि ब्लड सरकुलेशन अच्छा रहे और इंसुलिन बनने में सहायता करें । यदि इंसुलिन उचित मात्रा में बनेगा तो ग्लूकोस में उपलब्ध शुगर की मात्रा कम हो जाएगी ।
उचित आहार का सेवन :-यह देखने को मिलता है कि यदि व्यक्ति उचित आहार का सेवन करता है तथा व्यक्ति उन वस्तुओ का सेवन नहीं करता जिनमें अत्यधिक शुगर का लेवल पाया जाता है। तो इससे भी उसका शुगर कंट्रोल में रहता है ।
(changes in lifestyle)जीवन शैली में बदलाव:- डायबिटीज के पेशेंट को अपनी जीवन शैली में भी बदलाव करना चाहिए जैसे तनाव मुक्त रहना चाहिए । योगा करना चाहिए ,ध्यान लगाना चाहिए ताकि यह सब करने से उनका मस्तिष्क और शरीर उचित प्रकार से maintain हो पाए।
Type-2
टाइप टू के रोगियों में यह देखने को मिलता है
कि शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता या फिर वह इंसुलिन प्रतिरोध करता है।
इसमें अनेकों लक्षण देखने को मिलते हैं।
लक्षण
इसमें भी बार बार प्यास लगना
बार बार पेशाब जाना
भूख लगना
थकान महसूस होना
अचानक से वजन कम होना
यह भी देखा गया है कि यदि कोई व्यक्ति डायबिटीज से ग्रस्त होता है । उन व्यक्तियों Immune power काफी कम मात्रा में होता है वह किसी भी बीमारी से Recovery करने में Normal व्यक्तियों के बदले अधिक समय लेते हैं ।जिस कारण हम कह सकते हैं कि जिन व्यक्तियों को डायबिटीज है उनमें हमें Immune power low होता है।
इलाज उपचार
दवाइयां (Medicine):- ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने के लिए टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में नॉन इंसुलिन medicine की आवश्यकता हो सकती हैं।
आहार परिवर्तन :- कम कार्बोहाइड्रेट आहार ,कम कैलोरी वाला भोजन वजन कम कर सकता है और ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में हेल्प करता है ।इसीलिए आहार में परिवर्तन होने के कारण भी शुगर लेवल को कम किया जा सकता है।
जीवन शैली में बदलाव
Changes in lifestyle :- डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्तियों को अपनी जीवन शैली में भी बदलाव करने की आवश्यकता होती है। मांसपेशियों को strong बनाने के लिए और Tissues द्वारा glucose के अवशोषण को बढ़ाने के लिए physical activity , Meditation की आवश्यकता है। यह ब्लड शुगर के लेवल को उचित प्रकार से नियंत्रित करने में हेल्प करता है।
कुछ cases में इंसुलिन थेरेपी तथा चिकित्सक Treatment डॉक्टर की सलाह दी लेनी चाहिए।